साइप्रस नाम के इस छोटे से देश की कहानी को ध्यान से पढ़ें....कुछ जानी पहचानी लगेगी.
साइप्रस एक छोटा सा द्वीप है जो टर्की से 40 मील दक्षिण और ग्रीस से 480 मील दक्षिणपूर्व पर स्थित है । एक समय इस द्वीप पर 720,000 ग्रीक रहते थे ।पर 1571 में टर्की ने इस पर आक्रमण कर दिया और इसके उत्तरी भाग पर इस्ताम्बुल का कब्ज़ा हो गया। 1878 में ब्रिटिश ने इसे लीज पर लिया। लीज प्रथम विश्व युद्ध के बाद समाप्त हो गया और 1925 में यह द्वीप ब्रिटिश राज की colony बन गई। 1960 में ब्रिटिश ने इसे आज़ाद कर दिया और साइप्रस गणतंत्र बना जहाँ 80 % ग्रीक थे और 20 % तुर्क थे ।
जल्द ही तुर्क मुस्लिम को ग्रीक ईसाई के साथ रहने में परेशानी महसूस होने लगी. अब मुसलमानों के लिए ये कोई नई बात नहीं है. 1878 में ओटोमन तुर्क साम्राज्य का शासन समाप्त होने से साइप्रस 'दार-उल -इस्लाम ' नहीं रह गया बल्कि यह यह साइप्रस के तुर्क मुस्लिमों के लिए 'दार-उल -हब्र' (land of conflict ) बन गया। शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के सामने वे कुछ कर नहीं सकते थे ,पर ब्रिटिश के जाते ही स्थिति बदल गई .
साइप्रस के तुर्क मुस्लिम अब भी कुछ करने की स्थिति में नहीं थे क्यूंकि उनकी संख्या कुल जनसँख्या का 20% थी। इसलिए 1974 में तुर्क मुस्लिम ने टर्की को साइप्रस पर आक्रमण करने को बुलाया। साइप्रस की सरकार इस आक्रमण को रोक नहीं पाई। 1975 में तुर्क मुस्लिमों ने विभाजन की मांग की। अलग हुए भाग ने अपने आप को 1983 में आज़ाद घोषित कर दिया और नाम रखा 'Turkish Republic of northern cyprus 'और टर्की ने उसे एक नए देश का दर्जा दे दिया ।
गौर करने वाली बात यह है कि पहले 16 वीं सदी तक इस देश में सिर्फ ग्रीक ईसाई रहते थे. 1571 में तुर्क आयें एवं उत्तरी साइप्रस में ग्रीक ईसाई के साथ रहने लगे। सबसे दुखद बात यह है कि 1974 में जुलाई अगस्त की घुसपैठ में तुर्की आक्रमणकारियों ने बर्बरता पूर्वक ग्रीक ईसाईयों को वहां से भगा दिया । 200 ,000 ग्रीक ईसाई को बलपूर्वक निकाल दिया ।वे लोग अपना घर बार छोड़कर दक्षिण भाग में आ गए जहाँ ग्रीक ईसाई रहते थे ।वे लोग अपने ही घर में शरणार्थी बन गए और ये सब किया गया ठीक विभाजन कि मांग से पहले और उसके बाद 1983 में साइप्रस का एकतरफ़ा विभाजन हो गया । Ethnic cleansing के बाद भी उत्तरी भाग में 12 ,000 ग्रीक रह गए। 20 वर्षों के बाद वहां सिर्फ 715 ग्रीक रह गए और अब शून्य । कहाँ गए ये लोग ???
गौर करने वाली बात यह है कि पहले 16 वीं सदी तक इस देश में सिर्फ ग्रीक ईसाई रहते थे. 1571 में तुर्क आयें एवं उत्तरी साइप्रस में ग्रीक ईसाई के साथ रहने लगे। सबसे दुखद बात यह है कि 1974 में जुलाई अगस्त की घुसपैठ में तुर्की आक्रमणकारियों ने बर्बरता पूर्वक ग्रीक ईसाईयों को वहां से भगा दिया । 200 ,000 ग्रीक ईसाई को बलपूर्वक निकाल दिया ।वे लोग अपना घर बार छोड़कर दक्षिण भाग में आ गए जहाँ ग्रीक ईसाई रहते थे ।वे लोग अपने ही घर में शरणार्थी बन गए और ये सब किया गया ठीक विभाजन कि मांग से पहले और उसके बाद 1983 में साइप्रस का एकतरफ़ा विभाजन हो गया । Ethnic cleansing के बाद भी उत्तरी भाग में 12 ,000 ग्रीक रह गए। 20 वर्षों के बाद वहां सिर्फ 715 ग्रीक रह गए और अब शून्य । कहाँ गए ये लोग ???
मैंने यह सब क्यूँ लिखा? क्यूंकि कश्मीर,पाकिस्तान और बंगलादेश में यही हुआ और आज भी हो रहा है । बंगाल, असम, केरल में यही सब हो रहा है। क्या हमलोग साइप्रस देश या कश्मीर से कुछ सीखेगे ???? क्या अभी भी हमें यह दुविधा होनी चाहिए कि इस्लाम क्या करता है और आगे क्या करेगा ????
सुन्दर लेख है पल्लवी जी ; आशा है आप आगे भी अपने लेख हमसे साझा करती रहेंगी |
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