Monday 2 July 2012


ब्रेकिंग इंडिया- लेखक  राजीव मल्होत्रा. 


अगर आपने यह नहीं पढ़ा है तो आप अपने बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय कर रहे हैं...

राजीव मल्होत्रा की यह आँखें खोलने वाली पुस्तक भारत के भविष्य की बहुत अँधेरी तस्वीर प्रस्तुत करती है ;पर दुर्भाग्य से यह एक ऐसा सच है, जिसकी अनदेखी करके हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक गृहयुद्ध और बर्बादी की और धकेलने वाले हैं    
 सौभाग्य से श्री राजीव मल्होत्रा ने वर्षों के शोध के बाद उन ताकतों के आपसी संबंधों को पहचाना है , जो भारत को तोड़ने में लगे हुए हैं .इस पुस्तक में क्या है यह मैं, राजीव जी के शब्दों का अनुवाद लिख रही हूँ ...

"यह पुस्तक पिछले एक दशक के कई अनुभवों का परिणाम है . 1990 के दशक में प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी के एक विद्वान् ने बताया की वे 'एफ्रो-दलित प्रोजेक्ट ' के सिलसिले में भारत से लौटे हैं . और जानकारी लेने से पता चला, अमेरिका के पैसे से चलने वाला यह प्रोजेक्ट भारत के दलितों को 'भारत के black ' और गैर दलितों को 'भारत के  white ' की तरह दिखने का प्रयास है. अमेरिका के काले-गोरे के नस्लवाद और दास प्रथा के इतिहास को उठाकर भारत पर थोपने और इस बहाने से यहाँ सामाजिक वैमनस्य पैदा करने का प्रयास है.
मैंने खोज की कि भारत में द्रविड़ और आर्य जातियों की अवधारणा कहाँ से आई? आर्य  और द्रविड़  जातियों की पहचान भारत में अंग्रेजी उपनिवेशवाद की उपज है , 19 वीं शताब्दी के पहले इसका कोई आस्तित्व नहीं था . इसका आधार है यूरोपियनों द्वारा दी गई यह थ्योरी कि भारत पर विदेशी आर्यों ने आक्रमण किया और आत्याचार किये.
 मैंने अमेरिका द्वारा चर्चों को मिलने वाले पैसे और उसके होने वाले उपयोग पर भी शोध किया. अक्सर विदेशों में भारत के गरीब अनाथ बच्चों के लिए सहायता के लिए विज्ञापन आते हैं, और 25-30 वर्ष की उम्र में मैंने दक्षिण भारत में ऐसे ही एक बच्चे का खर्च भी उठाया था. बाद में भारत की अनेक यात्राओं में मैंने पाया की इन पैसों का इस्तेमाल बच्चों की देखभाल के लिए नहीं , बल्कि धर्म परिवर्तन और विचारधारा फ़ैलाने के लिए किया जाता है .
मैं अमेरिका में अनेक विद्वानों और मानवाधिकार संगठनो से वाद विवाद में शामिल हुआ, और पाया की उनका भारत के बारे में एक अजीब रवैया है  -कि भारत एक तरह की गन्दगी है और पश्चिम का काम है भारत को सभ्य बनाना . भारत उनके लिए  CASTE  COWS and CURRY का देश है . उनका काम है भारत कि सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को मानवाधिकार की सनसनीखेज कहानियां  बनाकर प्रस्तुत करना. मैंने भारत के बारे में ऐसी सिद्धांतों का प्रचार करने वाले मुख्य संगठनो और व्यक्तियों पर नजर रखना शुरू किया , साथ ही अमेरिका के कानूनों का उपयोग करते हुए वहां से ऐसे संगठनो को दिए जाने वाले पैसों पर भी नजर रखी. उनकी सभी सभाओं , वर्कशौप  और प्रकाशनों का अध्ययन किया .  मुझे जो मालूम हुआ , वह भारत की एकता और सुरक्षा के बारे में विचार करने वाले हर भारतीय के लिए एक खतरे की घंटी है .

भारत पर यह आक्रमण पश्चिम में एक विशाल उद्योग हैं . विभिन्न संगठनो, व्यक्तियों और चर्चों का एक संगठित तंत्र है जो भारत में एक अलगाववादी ऐतहासिक और धार्मिक पहचान की रचना करने में बड़े जतन से लगा है . बाहर से देखकर ये सरे भारत विरोधी लोग और संगठन अलग अलग नजर आते हैं लेकिन वास्तव में इनके बीच बहुत मजबूत coordination है , और यूरोप और अमेरिका से इन्हें पूरी आर्थिक मदद मिलती. गरीबों की आवाज उठाने के नाम पर ये भारत को तोड़ने के उद्देश्य में लगे हैं . इनका संगठन और इनकी रणनिति बहुत प्रभावशाली हैं और सबसे बड़ा खतरा यह है की ज्यादातर भारतीय इस षड्यंत्र से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं . यही कारण है की जब यह अलगाववादी विचारधाराएँ हथियारबंद हो जाती हैं, तब हम उनपर नियंत्रण करने में अरबों रूपया खर्च करते हैं, पर अभी जब वे अपना जाल फ़ैलाने का काम कर रही हैं, तो उनपर नजर रखने और नियंत्रित करने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं. 

आखिर विश्वविद्यालयों और शिक्षाविदों के बीच होने वाली सामान्य सी दिखने वाली गतिविधियाँ नस्लीय हिंसा कैसे फैला सकती हैं? पर ऐसा हुआ है....श्रीलंका में ऐसी ही कृत्रिम नस्लीय भेद-भाव पूर्ण पहचान बनाई गयी, जिसका परिणाम हुआ वहां दुनिया का सबसे खुनी गृहयुद्ध...जिसने पश्चिम के हथियारों के व्यापार को वर्षों तक जिन्दा रखा. ऐसा अफ्रीका के भी कई भागों में हुआ. और ऐसा भारत में हो रहा है...

ऐसे प्रयासों का एक उदहारण है; जो "GEO " पत्रिका में प्रकाशित इस लेख में स्पष्ट है - "विलुप्त होती भारतीय भाषाएँ". इस लेख में कहा गया है- 

 " ETHNOLOGUE  नामक भाषाओँ का encyclopedia है, जिसमें दुनिया की 7,358 भाषाओँ का उल्लेख है. इसका प्रकाशन "SIL International " नामक एक अमेरिकी क्रिस्चन संस्था करती है. अमेरिका की "Wycliffe Foundation " और इसके बाईबल अनुवादकों की फौज "न्यू इंडिया एवंजेलिकल असोसिएसन" नामक संस्था के साथ मिल कर भारत में बहुत सक्रिय है. बिहार की छः भाषाओँ- भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, सुरजपुरी और  पंच्परगनिया में बाईबल प्रकाशित होने ही वाली है. "Wycliffe Foundation" का उद्देश्य 2025 तक विश्व की सभी भाषाओँ में बाईबल को पहुँचाना है. जहाँ यह इन भाषाओँ को बचाने का प्रयास है, वहीँ इसमें भी शक नहीं की इसाई धर्म जल्दी ही उन सभी स्थानीय संस्कृतियों पर भी हावी हो जायेगा."

स्पष्ट है कि कैसे भाषा पर होने वाला रिसर्च विदेशी पैसे कि मदद से भारतीय संस्कृति और एकता का शत्रु बन रहा है. इस पुस्तक का मूल उद्देश्य है इन सभी देश-विरोधी शक्तियों के प्रति सभी भारतीयों को सजग करना, जिससे कि हम सभी जाति, भाषा और राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठ कर इस आक्रमण का सामना कर सकें. अन्यथा हमारी अगली पीढ़ी शरणार्थी शिविरों में रहने को बाध्य होगी, जैसा कि कश्मीरी पंडितों, त्रिपुरा के जमातिया, मिजोरम के रियांग और श्रीलंका के तमिल शरणार्थियों के साथ हो रहा है. 

Excerpted with permission from Malhotra, Rajiv and Aravindan Neelakandan, "Breaking India: Western Interventions in Dravidian and Dalit Faultlines," Amaryllis Publishers, Delhi, 2011
Chapter : Introduction 

http://www.breakingindia.com/

1 comment:

  1. The enemy has found a better way to win our country send so called religious leaders to convert our poor , weak, uneducated and criminals to their culture and use them as foot soldier to take over country.
    These new converts are now not loyal to nation but alien nation and culture.
    This is sure way of enemy to take our country without sending arms and soldiers.
    People of the nation need to wake up rich and educated class will suffer most due to this and find a way how to deal with converts and bring them back to national fold by educating .
    Afganistan ,Pakistan and Bangladesh are new converts destroying their own nation.
    A prefect way found by Saudis working perfectly.
    Beautiful cultures of these nations down to drain.
    conversion of any kind in a country should be stopped to save the native culture and life style.

    ReplyDelete